मैं नहीं जानता क्या होगा,
पर जो होगा अच्छा होगा,
आने वाला कल सबका,
बेहतर से बेहतर होगा ।
नई आस -विश्वास लिए,
नव स्वप्नों की स्वांस लिए,
मन में नव उल्लास लिए,
जो होगा बेहतर होगा । मैं नहीं .....
छिपे हुए परिणामों में,
अप्रत्याशित कामो में,
जीवन के पैगामों में,
जो भी होगा बेहतर होगा । मैं नहीं .....
कलम चल चुकी है उसकी,
हमें देख रही नज़र जिसकी,
उसको है खबर सबकी,
सभी काम उत्तम होगा । मैं नहीं ......
पर जो होगा अच्छा होगा,
आने वाला कल सबका,
बेहतर से बेहतर होगा ।
नई आस -विश्वास लिए,
नव स्वप्नों की स्वांस लिए,
मन में नव उल्लास लिए,
जो होगा बेहतर होगा । मैं नहीं .....
छिपे हुए परिणामों में,
अप्रत्याशित कामो में,
जीवन के पैगामों में,
जो भी होगा बेहतर होगा । मैं नहीं .....
कलम चल चुकी है उसकी,
हमें देख रही नज़र जिसकी,
उसको है खबर सबकी,
सभी काम उत्तम होगा । मैं नहीं ......
nice thougth
जवाब देंहटाएंdoob jayegi ujalon me syahi ek din,
जवाब देंहटाएंpaav choomegi aapke qamyabi ek din,
agar yun hi srijit karte rahe rachnaye aap,
to yaad aayegi zamane ko aapki ek din.
वाह, बेहतरीन
जवाब देंहटाएंक्षितिज जिसकी शुरुआत है...
जवाब देंहटाएंपांव में उसके का़यनात है....
बेमिसाल सोच, बेहतरीन रचना!
�� धन्यवाद
जवाब देंहटाएं