सोमवार, 20 दिसंबर 2010

१- २

- महफ़िल सजी हुई है,इक क़सर रही,
आप गए जो,शमा बिख़र गई

- सुन धड़कनों की धक-धक,ये कह रही हैं क्या,
आज मिलने को कोई,हमसे रहा

रविवार, 19 दिसंबर 2010

१-२-३

- ग़र्म हैं हर तरफ चर्चाऍ हमारी ,
हम कुछ नहीं कहते,फिर भी वो बहुत है

- हर लम्हा ख़ुशगवार है, तेरी क़ायनात का,
दुःख दे रहे हैं जो,तेरी क़ायनात नहीं

- ताज पहने हैं हम,फ़कीरी से ख़ुदा,
ग़र फ़कीरी नहीं,बेताज हो गए