रविवार, 8 जून 2014

अर्जी

रुठ के बेटी ने गर,
दुनियां में आना छोड़ दिया,
तो अंधकार ना मिटा सकेगा,
किसी के घर का कोई दिया।
आधी दुनियां के हटते ही,
पूरी दुनियां घट जाएगी,
प्यारी सी दिखती ये दुनियां,
अंधकार से पट जाएगी। 
गर ना मेरी 'माँ' होती तो,
कैसे बुनता सपने मैं,
कैसे सुन्दर दुनियां में,
प्रेम फूल को चुनता मैं.
मेरी है अर्जी बस इतनी,
सपनो को मत मरने दो,
इस नन्ही सी दुनियां में,
मत अपनों को मरने दो.

गुरुवार, 13 मार्च 2014

रोशन चिराग़

निकम्मा था जो घर का लड़का,
कर गया नाम रोशन। 
जब होनहार अपने,
दूर हो गए थे घर से,
तब माँ के संग में रह के, 
कर रहा चिराग़ रोशन।

शुक्रवार, 21 फ़रवरी 2014

शहर-ए-लख़नऊ

रूमानियत का है ये शहर 
देखो इस क़दर,
बॉवली यहाँ कि इक गली
लव लेन हो गयी।