क्षितिज पे पहुँचने की चाह कैसी, हम भी तो किसी के क्षितिज पर हैं, चलो क्षितिज से ही शुरुआत की जाए.
क्या बात है शरद जी! मुझे भी कुछ याद आ गया"धूप है तेज़ बहुत मुझको बचाए रखना,ए मेरी माँ की दुआओं यूं ही साए रखना."... मां को नमन...
क्या बात है शरद जी! मुझे भी कुछ याद आ गया
जवाब देंहटाएं"धूप है तेज़ बहुत मुझको बचाए रखना,
ए मेरी माँ की दुआओं यूं ही साए रखना."
... मां को नमन...