रविवार, 4 जुलाई 2010

गाँव



निबियाँ की छैयाँ
और मंद सी बयार ,
कोल्हू का चक्कर
और रस की धार,
गुड की भेली
और अम्मा का प्यार ,
दे जाता हमको
खुशियां अपार

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