सोमवार, 24 अगस्त 2015

नन्हे देव


नन्हे मुन्ने बच्चों की दुनिया अजब अनोखी है

दूर देश की परियों में दुनियां उनने देखी है
सपनो के महलों में वो
सिंघासन सजवाते हैं. 
गैर नहीं उनका कोई 
अपना सब को बनाते हैं 
चंदा उनके मामा हैं 
मौसी बिल्ली को कहते 
नन्ही प्यारी गुड़िया के
बिना नहीं है वो रहते.
सोते जब, दुनियां सोए 
जगते धूम मचाते हैं
भूल यदि कोई करते 
हंस के,सब भुलवाते हैं 
ऐसे नन्हे देवो का 
मैं नित नित अर्चन करता हूँ 
जो धरती को स्वर्ग बनाते हैं
मैं उनका वंदन करता हूँ.

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