सार
क्षितिज पे पहुँचने की चाह कैसी, हम भी तो किसी के क्षितिज पर हैं, चलो क्षितिज से ही शुरुआत की जाए.
शनिवार, 1 अगस्त 2015
ये रात भी है देखिये क्या कमाल की .
दिखे न जब कहीं कुछ,सपने दिखा करें
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