कितने सपने टूट गए
कितने अपने छूट गए
कहर से कुदरत के कारण
न जाने कितने रूठ गए
कितने अपने छूट गए
कहर से कुदरत के कारण
न जाने कितने रूठ गए
कितने तोतले बोल गए
कितने जीवन अनमोल गए
डोली जो धरती कुछ पल
हर दिल में पीड़ा घोल गए
कितने जीवन अनमोल गए
डोली जो धरती कुछ पल
हर दिल में पीड़ा घोल गए
मोती आँसू बन बैठे
हिमशिखरों पर दाग लगा
सिसक उठा आकाश सिहर कर
धरती का मन काँप उठा
हिमशिखरों पर दाग लगा
सिसक उठा आकाश सिहर कर
धरती का मन काँप उठा
बस एक दिलासा मन को है
प्रकृति की चुनौती प्रकृति (मानव)को है
सपने लगते टूटे हों
पर नए सपने गढ़ना जारी है
प्रकृति की चुनौती प्रकृति (मानव)को है
सपने लगते टूटे हों
पर नए सपने गढ़ना जारी है
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