सार
क्षितिज पे पहुँचने की चाह कैसी, हम भी तो किसी के क्षितिज पर हैं, चलो क्षितिज से ही शुरुआत की जाए.
रविवार, 14 अगस्त 2016
ना कोई भी जुदा रहे
वर्ष व्यतीत,
उत्तम अतीत,
उज्वल भविष्य के सपने ले,
शील, सहजता, धैर्य , सौम्यता,
के सुन्दर आभूषण ले ,
अर्जुन के मानिंद मीन की
चक्षु पे दृष्टि सदा रहे
नई ऊर्जा, नई प्रेरणा, नए नए आयामों के संग
इस सुंदर जीवन पथ पर, ना कोई भी जुदा रहे । :)
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