सार
क्षितिज पे पहुँचने की चाह कैसी, हम भी तो किसी के क्षितिज पर हैं, चलो क्षितिज से ही शुरुआत की जाए.
शुक्रवार, 21 फ़रवरी 2014
शहर-ए-लख़नऊ
रूमानियत का है ये शहर
देखो इस क़दर,
बॉवली यहाँ कि इक
गली
लव लेन हो गयी।
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