रविवार, 8 जून 2014

अर्जी

रुठ के बेटी ने गर,
दुनियां में आना छोड़ दिया,
तो अंधकार ना मिटा सकेगा,
किसी के घर का कोई दिया।
आधी दुनियां के हटते ही,
पूरी दुनियां घट जाएगी,
प्यारी सी दिखती ये दुनियां,
अंधकार से पट जाएगी। 
गर ना मेरी 'माँ' होती तो,
कैसे बुनता सपने मैं,
कैसे सुन्दर दुनियां में,
प्रेम फूल को चुनता मैं.
मेरी है अर्जी बस इतनी,
सपनो को मत मरने दो,
इस नन्ही सी दुनियां में,
मत अपनों को मरने दो.

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