मंगलवार, 31 अगस्त 2010

टूटते तारे


वे जो टूटते तारे गिरते हैं ज़मीन पर,
ख़ुद टूट कर भी कितनों कि आस जोड़ जाते हैं।
जब टिमटिमाते थे,
आहलादित करते थे मन को।
...वो हल्का-हल्का सा झिलमिलाना,
कितनों के बीच भी अपना काम करते जाना।
ये भी न पता उनको
कोई देखता होगा,
बस ....ख़ुद उल्लास में इस विश्वास में
जीते हैं जीवन को अपना सुन्दर,
क्योकि जानते हैं
जीने कि कला है उनके अन्दर।
.....नहीं ज़रूरत कभी किसी को खुश करने की,
यदि ख़ुशी से महकें ख़ुद तो
ख़ुशबू हर लेती पीड़ा हर जन की ।

बुधवार, 25 अगस्त 2010

इज़हार


जज़्बा--मोहब्बत का इज़हार करना सीखिए,
दे दिया जो दिल तो इक़रार करना सीखिए
सीखिए मोहब्बत में हद से गुज़र जाना,
मुश्किलें हों कितनी भी पार करते जाना।
तोड़िए पैमाने प्यार मोहब्बत के,
लिख दीजिये फल्सफे ज़िन्दगी कि हद के।
कोई तोड़ पायेगा, कोई जोड़ पायेगा,
ज़िन्दगी कि राहें कोई मोड़ पायेगा।
दिखा दो सभी को,जता दो सभी को ,
ये जज़्बात दिल का बता दो सभी को ,
कि ख़ाब को हकीकत बना सकते हैं हम,
जन्नत को धरती पे ला सकते हैं हम।
खुशिओं का सैलाब आयेगा दुनियाँ में,
सुन्दर सा इक ख़ाब आयेगा दुनियां मैं
किसी पे होगा किसी और का बस ,
हम होंगे,तुम होगे,इश्क होगा और बस