सार
क्षितिज पे पहुँचने की चाह कैसी, हम भी तो किसी के क्षितिज पर हैं, चलो क्षितिज से ही शुरुआत की जाए.
गुरुवार, 13 मार्च 2014
रोशन चिराग़
निकम्मा था
जो घर का लड़का,
कर गया नाम रोशन।
जब होनहार अपने,
दूर हो गए थे घर से,
तब माँ के संग में रह के,
कर रहा चिराग़ रोशन।
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