अब समझ आया
बारात के शोर का राज़,
परिवर्तन की पीड़ा कम करने का
उपक्रम किया जाता है।
गहरी नदी को पार करते
ये उस माझी का गीत है,
जो उफनाती नदी के भय को दूर कर
अपनी लय में उस पार पहुंचाता है।
अब समझ आया .......
ये वो तीव्र चीख़ है
जो गहरे से गहरे ज़ख़्म को
दूर करने का प्रयास कर
मरहम लगाती है।
अब समझ आया........
ये शोर, उस इलाज की तरह है,
जब इंजेक़्शन लगवाने के पहले
पापा बच्चों को इठलाते हैं।
अब समझ आया.........
जब तक भड़भड़ में भूले ख़ुद को,
तब तक नया द्वार है आऐ।
फिर नए रूप और नए रंग में
नयी ज़िन्दगी पाए।
बारात के शोर का राज़,
परिवर्तन की पीड़ा कम करने का
उपक्रम किया जाता है।
गहरी नदी को पार करते
ये उस माझी का गीत है,
जो उफनाती नदी के भय को दूर कर
अपनी लय में उस पार पहुंचाता है।
अब समझ आया .......
ये वो तीव्र चीख़ है
जो गहरे से गहरे ज़ख़्म को
दूर करने का प्रयास कर
मरहम लगाती है।
अब समझ आया........
ये शोर, उस इलाज की तरह है,
जब इंजेक़्शन लगवाने के पहले
पापा बच्चों को इठलाते हैं।
अब समझ आया.........
जब तक भड़भड़ में भूले ख़ुद को,
तब तक नया द्वार है आऐ।
फिर नए रूप और नए रंग में
नयी ज़िन्दगी पाए।